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19 September 2024
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उत्तर भारत में पपीता मार्च-अप्रैल और सितंबर-अक्टूबर में लगाया जाता है। वर्तमान में सितंबर का महीना चल रहा है, इसलिए अधिकांश किसान नर्सरी डाल चुके होंगे या उन्हें तुरंत नर्सरी में बीज डालने चाहिए। नर्सरी वह स्थान है जहां पौधों को मुख्य भूखंडों में रोपने से पहले उगाया जाता है।


नर्सरी का महत्व

पपीते जैसे फलों के लिए नर्सरी में पौधे उगाने की आवश्यकता होती है। बीज की गुणवत्ता बहुत महत्वपूर्ण होती है, जो पौधों की वृद्धि और उत्पादन पर प्रभाव डालती है।


बीज बोने की प्रक्रिया

बीज बोने के बाद उसे महीन मिट्टी की परत से ढक देना चाहिए ताकि पक्षियों या अन्य जानवरों से सुरक्षा हो सके। मिट्टी की गुणवत्ता और उसके उपचार पर विशेष ध्यान देना आवश्यक होता है।


नर्सरी स्थल का चयन

नर्सरी क्षेत्र का चयन करते समय निम्नलिखित बातों पर ध्यान देना चाहिए:

  • क्षेत्र जलभराव से मुक्त हो।
  • पर्याप्त धूप मिलती हो और छाया से दूर हो।
  • पानी की आपूर्ति के पास हो।
  • पालतू और जंगली जानवरों से सुरक्षित हो।


नर्सरी के लाभ

  • महंगे बीजों के नुकसान को कम करना।
  • भूमि का उचित उपयोग।
  • पौधों की बेहतर वृद्धि और समय की बचत।
  • प्रतिरोपण के लिए उपयुक्त समय का विस्तार।
  • प्रतिकूल परिस्थितियों में भी पौध तैयार करना।


मृदा उपचार

मिट्टी का सोलराइजेशन करना बेहतर होता है। बीज बोने से पहले फॉर्मेलिन का उपयोग करके मिट्टी का उपचार करना चाहिए। इसके अलावा, कवकनाशी और कीटनाशकों का भी प्रयोग किया जा सकता है।


बीज की मात्रा और रोपण विधि

पपीते की नर्सरी के लिए एक हेक्टेयर भूमि में 500 ग्राम बीज पर्याप्त होता है। बीज को कैप्टन से उपचारित करना चाहिए और ऊंची उठी हुई क्यारियों में या बड़े गमलों में बोया जा सकता है। बोई गई क्यारियों को सूखी घास से ढककर नियमित पानी देना चाहिए।


प्रतिरोपण

जब पौधे की ऊंचाई 25 सेमी हो जाए और उनमें 4-5 पत्तियां आ जाएं, तब लगभग दो महीने बाद खेत में प्रतिरोपण करना चाहिए।


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