19 July 2024
धान (Rice) खरीफ की प्रमुख फसल है और देश के कई राज्यों में इसकी खेती की जाती है। लेकिन अधिक पानी खर्च होने के कारण कुछ राज्य के किसान इससे दूरी बनाने लगे हैं। एक किलो धान पैदा करने के लिए करीब 3,000 लीटर पानी की आवश्यकता होती है, जो अन्य फसलों की अपेक्षा सबसे अधिक है।
धान की खेती में पानी की बचत के लिए नारियल खाद
हरियाणा सरकार की ओर से धान की खेती छोड़कर दूसरी फसल की खेती करने वाले किसानों को सब्सिडी दी जा रही है। इसके अलावा, एक नई तकनीक के माध्यम से विशेष नारियल खाद का उपयोग करके कम पानी में धान की खेती की जा सकती है।
नारियल खाद का निर्माण और उपयोग
- नारियल और डाभ को मिलाकर सड़ने के लिए छोड़ा जाता है, जिससे खाद तैयार होती है।
- इस खाद को खेत में छिड़कने से मिट्टी में नमी बनी रहती है और एक सिंचाई से ही धान की खेती संभव हो जाती है।
- नारियल खाद का उपयोग करने से चार सिंचाई की बजाय एक सिंचाई की आवश्यकता होती है, जिससे पानी और पैसे दोनों की बचत होती है।
नारियल खाद की मात्रा और लाभ
- एक किलोग्राम नारियल खाद 10 लीटर पानी सोख लेती है।
- यह खाद प्राकृतिक रूप से तैयार होती है और इसका कोई विपरीत असर फसलों पर नहीं पड़ता।
- नारियल खाद के उपयोग से धान की पैदावार अच्छी होती है और पानी की बचत होती है।
रासायनिक उर्वरक की आवश्यकता
- धान की खेती में किस्मों के हिसाब से खाद और उर्वरक की मात्रा दी जाती है:
- कम अवधि वाली किस्मों के लिए प्रति हैक्टेयर 100 किलोग्राम नाइट्रोजन, 40 किलोग्राम फास्फोरस, और 40 किलोग्राम पोटाश।
- मध्यम अवधि वाली किस्मों के लिए 150 किलोग्राम नाइट्रोजन, 50 किलोग्राम फास्फोरस, और 50 किलोग्राम पोटाश।
- लंबी अवधि वाली किस्मों के लिए 150 किलोग्राम नाइट्रोजन, 50 किलोग्राम फास्फोरस, और 80 किलोग्राम पोटाश।
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