धान की कटाई के बाद निकलने वाली पुआल को बेकार समझकर फेंकना गलत है। पुआल का सही प्रबंधन कई पर्यावरणीय समस्याओं का समाधान हो सकता है, जैसे वायु और जल प्रदूषण।
पुआल का अनुचित निपटान पर्यावरण को नुकसान पहुंचाता है: वायु प्रदूषण: जलाने से हानिकारक गैसें निकलती हैं। जल प्रदूषण: सड़ने से जल स्रोतों में पोषक तत्वों का जमाव होता है। मिट्टी की गुणवत्ता में कमी:पुआल के अपघटन की कमी से मिट्टी की उर्वरता घटती है।
यांत्रिक प्रबंधन: स्ट्रॉ चॉपर और बेलर का उपयोग कर पुआल को छोटे टुकड़ों में काटा जाता है। मिट्टी में समाविष्ट करना:पुआल को मिट्टी में मिलाकर उर्वरता बढ़ाई जा सकती है। जैविक अपघटन: पुआल का खाद या वर्मीकम्पोस्ट में उपयोग लाभदायक होता है। वैकल्पिक उपयोग: पशु चारे और मशरूम की खेती में पुआल का उपयोग। बायोएनर्जी उत्पादन: बायोगैस और बायोएथेनॉल उत्पादन के लिए पुआल का इस्तेमाल।
किसानों को मशीनरी और पर्यावरण-अनुकूल तकनीकों के लिए सब्सिडी और जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं। सामूहिक प्रयासों से किसान पुआल का बेहतर प्रबंधन कर सकते हैं। पुआल का सही प्रबंधन कृषि और पर्यावरण स्थिरता में योगदान देता है, जिससे यह पर्यावरणीय बोझ के बजाय एक उपयोगी संसाधन बनता है।
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