पहले जहाँ पशुपालन किसानों की अतिरिक्त आय का साधन था, वहीं आज यह कमाई का एक महत्वपूर्ण माध्यम बन चुका है। कई लोग अपनी नौकरी छोड़कर इस क्षेत्र में उतर रहे हैं और अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं।
मुर्गी पालन को ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में सबसे ज्यादा अपनाया जा रहा है। मुर्गियों को रखने के लिए साफ-सुथरी जगह, लाइसेंस और पोषण युक्त आहार की जरूरत होती है। लगभग 16-18 हफ्तों में अंडे प्राप्त किए जा सकते हैं।
बत्तख पालन पानी में किया जाता है, जिसके लिए तालाब या कंक्रीट वाले टैंक का इस्तेमाल किया जा सकता है। साल में एक बत्तख से 300 तक अंडे मिल सकते हैं, और उनका मांस भी एक महत्वपूर्ण कमाई का साधन है।
बटेर पालन मुर्गियों की तरह ही किया जाता है। इन पक्षियों को रखरखाव और पोषण के लिए सही आहार और हवादार जगह दी जाती है। लगभग 45 दिनों में अंडे मिलने लगते हैं और मांस भी अच्छा मुनाफा देता है।
पक्षियों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है, इसलिए इनके लिए बेहतर वातावरण, खान-पान और नियमित चिकित्सकीय देखभाल आवश्यक है। बीमार पक्षियों को अलग रखना चाहिए।
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