इनमें शिमला स्थित केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान (आईसीएआर-सीपीआरआई) काम आलू पर काम कर रहा है। जबकि, तिरुवनंतपुरम स्थित केंद्रीय कंद फसल अनुसंधान संस्थान (आईसीएआर-सीटीसीआरआई) शकरकंद पर काम कर रहा है। इससे न केवल भारत में बल्कि अन्य दक्षिण एशियाई देशों में भी किसानों को लाभ मिलेगा। इस परियोजना के लिए भारत सरकार और पेरू के संस्थान के बीच समझौते पर हस्ताक्षर हो रहे हैं, और खर्च के रूप में 160 करोड़ रुपये की बात है।
यह केंद्र भारत में आलू और शकरकंद के विकास पर ध्यान केंद्रित करेगा, जो जलवायु के लिए अनुकूल, रोग मुक्त और प्रॉसेसिंग के लिए होंगी। इससे भारतीय किसानों को बेहतर उत्पादन की संभावनाएं मिलेंगी। इससे भारत चीन के साथ आलू उत्पादन में प्रतिस्पर्धा में आगे बढ़ेगा। 2020 में चीन का आलू उत्पादन 78.24 मिलियन टन था, जबकि भारत का 51.30 मिलियन टन था। उम्मीद है कि पेरू के आलू केंद्र का आगरा में स्थापित होने से भारतीय फसलें चीन को पछाड़ देगी।
भारत में आलू और शकरकंद का उत्पादन महत्वपूर्ण है, और अब इसके विकास के लिए पेरू के अंतर्राष्ट्रीय आलू केंद्र की सहायता भी ली जा रही है। यह केंद्र भारत में स्थापित किया जाएगा, जिससे भारतीय किसानों को नई और उम्दा आलू और शकरकंद की किस्मों का विकास करने में मदद मिलेगी।