उपज क्षमता: यह किस्म 110 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक उपज देने में सक्षम है। समयावधि: इसे तैयार होने में 143-150 दिन लगते हैं। प्रतिरोधक क्षमता:यह किस्म फॉल आर्मीवर्म, मेडिस लीफ ब्लाइट, चारकोल रॉट, और टर्सिकम लीफ ब्लाइट के प्रति मध्यम प्रतिरोधी है। अनुशंसित क्षेत्र: इस किस्म की खेती पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, ओडिशा, और पश्चिम बंगाल में करने की सलाह दी जाती है।
खरीफ सीजन: जून से जुलाई के बीच मक्के की बुवाई की जाती है। पहाड़ी और ठंडे इलाकों में मई के अंत से जून की शुरुआत में बुवाई होती है। रबी सीजन:अक्टूबर से नवंबर के बीच बुवाई की जाती है। जायद सीजन: फरवरी से मार्च के बीच बुवाई की जाती है। फरवरी के अंत से मध्य मार्च तक बुवाई करनी चाहिए।
रबी सीजन में खेत की तैयारी सितंबर के दूसरे सप्ताह से शुरू करनी चाहिए। खरपतवार, कीट, और बीमारियों की रोकथाम के लिए जुताई आवश्यक है। मिट्टी की नमी बनाए रखने के लिए कम समय में जुताई कर तुरंत पाटा लगाना फायदेमंद होता है। जुताई का मुख्य उद्देश्य मिट्टी को भुरभुरी बनाना होता है। किसान शून्य जुताई या अन्य नवीनतम जुताई तकनीकों का उपयोग कर सकते हैं।
अधिक जानकारी के लिए मेरा फार्महाउस ऍप से जुड़े रहे।