राइस ट्रांसप्लांटर एक ऐसी मशीन है जो धान की रोपाई का काम करती है। इसमें खुद ही एक इंजन लगा होता है, जिससे इसके लिए अलग से ट्रैक्टर की जरूरत नहीं पड़ती। यह मशीन बड़े-बड़े खेतों में तेजी से धान की रोपाई करती है और किसान की लागत भी बचाती है। बाजार में कई तरह की राइस ट्रांसप्लांटर मशीनें उपलब्ध हैं। इस मशीन से रोपाई में समय और श्रम दोनों की बचत होती है।
राइस ट्रांसप्लांटर का उपयोग करना बेहद आसान है। किसान को बस धान की पौध इसमें लोड करनी होती है और मशीन एक संतुलित रफ्तार और दूरी पर रोपाई कर देती है। राइस ट्रांसप्लांटर धान की खेती को न केवल आसान बल्कि तेज भी बनाती है। इससे रोपाई के लिए लगने वाली अधिकांश लेबर का काम ऑटोमैटिक हो जाता है।
धान की खेती सबसे कठिन फसलों में से एक मानी जाती है। धान की रोपाई के दौरान किसानों की उंगलियां चोटिल होती हैं और कमर दर्द की भी शिकायत होती है। बड़े खेतों में यह काम और भी भारी हो जाता है। इसलिए राइस ट्रांसप्लांटर किसानों की इस समस्या का सही समाधान है। राइस ट्रांसप्लांटर धान के पौध को बिना नुकसान पहुंचाए नाजुक मिट्टी में रोप सकता है। इस मशीन से निश्चित दूरी पर रोपाई होती है, जिससे फसल की पैदावार और उत्पादकता दोनों बढ़ती हैं।
राइडिंग टाइप - यह एक मिनी ट्रैक्टर जैसा होता है, लेकिन इसका हल्का वजन मिट्टी को बिना नुकसान पहुंचाए धान के खेत में चलता है। इस तरह के राइस ट्रांसप्लांटर से किसान इसी पर बैठकर खेत में रोपाई करते हैं और यह एक साथ 6 से 8 लाइनों में रोपाई करता है। वॉकिंग टाइप - इस प्रकार के ट्रांसप्लांटर को खुद से संचालित करना पड़ता है। इसे पीछे से धक्का देना होता है और रोपाई के लिए सेटिंग खुद से मिलानी होती है। इसका रखरखाव किफायती होता है, लेकिन यह एक साथ सिर्फ 4 लाइनों की ही रोपाई कर सकता है।
यानमार, महिंद्रा, और कुबोटा राइस ट्रांसप्लांटर की प्रमुख कंपनियां हैं। महिंद्रा LV63A, कुबोटा एसपीवी-8, और यानमार AP4 सबसे लोकप्रिय मॉडल हैं। इनकी कीमतें 1,90,000 से 19,84,500 रुपए तक जाती हैं।