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25 June 2024
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सरकार की तरफ से किसानों और पशुपालकों के लिए कई बेहतरीन स्कीम चलाई जाती हैं। इसी क्रम में सरकार ने राष्ट्रीय पशुधन मिशन (Rashtriya Pashudhan Mission) को शुरू किया है। इस मिशन का मुख्य उद्देश्य छोटे पशुपालकों की मदद करना और पशुओं की नस्ल सुधारना है। इस स्कीम के तहत रोजगार सृजन, उद्यमिता विकास और प्रति पशु उत्पादकता में वृद्धि पर अधिक ध्यान दिया जाता है।


ष्ट्रीय पशुधन मिशन के उप-मिशन

राष्ट्रीय पशुधन मिशन में तीन उप-मिशन होते हैं: पशुधन और कुक्कुट के नस्ल विकास पर उप-मिशन: इस उप-मिशन का उद्देश्य पशुधन और कुक्कुट की नस्ल में सुधार करना है। फीड और चारा विकास पर उप-मिशन: इसका लक्ष्य चारा बीज आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करना और प्रमाणित चारा बीज की उपलब्धता को बढ़ाना है। नवाचार और विस्तार पर उप-मिशन: यह उप-मिशन नवाचार को बढ़ावा देने और किसानों को गुणवत्तापूर्ण विस्तार सेवा प्रदान करने पर केंद्रित है।


स्कीम के अंतर्गत विशेष प्रावधान

चारा और फीड की उपलब्धता बढ़ाना

चारा बीज आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करने और प्रमाणित चारा बीज की उपलब्धता के माध्यम से मांग को काफी हद तक पूरा करने के लिए चारे और फीड की उपलब्धता बढ़ाई जाती है।

चारा प्रसंस्करण इकाइयों की स्थापना

मांग-आपूर्ति के अंतर को कम करने के लिए चारा प्रसंस्करण इकाइयों की स्थापना को प्रोत्साहित किया जाता है।

पशुधन बीमा और जोखिम प्रबंधन

किसानों के लिए पशुधन बीमा सहित जोखिम प्रबंधन उपायों को बढ़ावा दिया जाता है।

अनुसंधान को बढ़ावा देना

मुर्गी, भेड़, बकरी पालन और चारा प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में अनुप्रयुक्त अनुसंधान को बढ़ावा दिया जाता है।

क्षमता निर्माण

किसानों को गुणवत्तापूर्ण विस्तार सेवा प्रदान करने के लिए सुदृढ़ विस्तार मशीनरी के माध्यम से राज्य के पदाधिकारियों और पशुपालकों का क्षमता निर्माण किया जाता है।


कौशल आधारित प्रशिक्षण

उत्पादन लागत को कम करने और पशुधन क्षेत्र के उत्पादन में सुधार के लिए कौशल आधारित प्रशिक्षण और प्रौद्योगिकियों के प्रसार को बढ़ावा दिया जाता है।


स्कीम के लिए पात्र संस्थाएं

इस सुविधा का लाभ निम्नलिखित संस्थाएं उठा सकती हैं:

  • निजी व्यक्ति
  • स्वयं सहायता समूह (एसएचजी)
  • किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ)
  • किसान सहकारिताएं (एफसीओ)
  • संयुक्त देयता समूह (जेएलजी)
  • धारा 8 की कंपनियां


स्कीम के पात्र मानदंड

  • उद्यमी खुद प्रशिक्षित हो या परियोजना चलाने के लिए प्रशिक्षित विशेषज्ञों को नियुक्त किया होना चाहिए।
  • स्वीकृत ऋण या स्व-वित्तपोषित परियोजनाओं में बैंक गारंटी होनी चाहिए।
    • स्वयं की भूमि हो या लीज पर ली गई भूमि होनी चाहिए।
  • KVC से संबंधित दस्तावेज होने चाहिए।

  • वित्तीय सहायता

    • पैरेंट फार्म और ग्रामीण हैचरी
    • हैचिंग अंडों और चूजों के उत्पादन और उन्हें मदर यूनिट में चार सप्ताह तक पालने के लिए (न्यूनतम 1000 पैरेंट लेयर्स के साथ) वित्तीय सहायता 25 लाख रुपये तक मिलती है।

    • भेड़ और बकरी प्रजनन यूनिट

      भेड़ और बकरी प्रजनन यूनिट की स्थापना के लिए करीब 50 लाख रुपये तक वित्तीय सहायता दी जाती है।


      सूअर ब्रीडर फार्म

      केंद्र या राज्य सरकार/विश्वविद्यालय के सूअर ब्रीडिंग फार्मों अथवा स्थानीय किसानों से उच्च वंश के गुणवत्ता वाले प्रजनन योग्य न्यूनतम 100 शिकारियों और 10 सूअरों के साथ ब्रीडर फार्म की स्थापना के लिए लगभग 30 लाख रुपये तक मदद मिलती है।


      चारा मूल्यवर्धन इकाई

      हे/साइलेज/कुल मिश्रित राशन (टी.एम.आर) तैयार करने, चारा ब्लॉक बनाने या चारे के भंडारण की सुविधा के लिए चारा मूल्यवर्धन इकाई स्थापित करने के लिए करीब 50 लाख रुपये वित्तीय सहायता उपलब्ध करवाए जाते हैं।


      आवेदन की प्रक्रिया

      • सबसे पहले www.nlm.udyamimitra.in पर ऑनलाइन आवेदन पत्र भरना होगा।
      • राज्य कार्यान्वयन एजेंसियों द्वारा आवेदन की स्क्रीनिंग की जाएगी।
      • ऋणदाता द्वारा ऋण की स्वीकृति करनी होगी।
      • राज्य स्तरीय कार्यकारिणी समिति (एस.एल.ई.सी) द्वारा अनुशंसा की जाएगी।
      • पशुपालन और डेयरी विभाग द्वारा सब्सिडी की स्वीकृति देनी होगी।
      • अंत में सब्सिडी जारी की जाती है और उसका वितरण किया जाता है।


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