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15 July 2024
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इस साल मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में मक्का की लगभग ढाई लाख हेक्टर क्षेत्र में बोनी होगी। यहाँ मक्का की औसत उत्पादकता विगत तीन वर्ष पहले तक 40 क्विंटल प्रति हेक्टर थी वहीं तीन वर्षों में मक्का की बोनी की तकनीक में बदलाव कर रेज़्ड-बेड (मेढ़ नाली तकनीक) से मेज प्लांटर द्वारा बोनी करने से उत्पादन बढ़ा है। हायब्रिड बीज, उन्नत तकनीकी समन्वित उर्वरक उपयोग से मक्के की औसत उत्पादकता 45 से 50 क्विंटल प्रति हेक्टर हो गई है।


रेज़्ड- बेड तकनीक मेज प्लांटर से बोनी करने पर फ़ायदे

  • बीज की बचत होती है इस तकनीक से बोनी करने पर सामान्य बोनी (7-8 किग्रा प्रति एकड़) की तुलना में कम (5-6 किग्रा प्रति एकड़) बीज की आवश्यकता होती है जिससे लागत में भी कमी आती है।
  • अधिक पानी गिरने की स्थिति में पानी नाली से बाहर निकल जाता है एवं फसल मेढ़ पर सुरक्षित रहती है।
  • कम पानी गिरने पर जो पानी नाली में इकट्ठा रहता है उसका उपयोग फसल के द्वारा किया जाता है इससे फसल सुरक्षित रहती है।
  • रो टू रो (क़तार से क़तार) की दूरी अधिक होने से पौधों की बढ़वार अच्छी होती है एवं अधिक उपज प्राप्त होती है।


मक्का उत्पादन में सिरमौर छिन्दवाड़ा

सिरमौर छिन्दवाड़ा में प्रतिवर्ष लगभग 15 से 16 लाख मैट्रिक टन मक्के का उत्पादन हो रहा है। जिले में एक इथेनॉल प्लांट बोरगाँव सौंसर में चालू है, जिसमें लगभग 15 लाख मैट्रिक टन मक्के की खपत होती है। इस प्लांट को छिन्दवाड़ा, बैतूल, सिवनी सहित महाराष्ट्र और तेलंगाना से मक्के की सप्लाई मिलती है। जिले में दो इथेनॉल यूनिट भी निर्माणाधीन हैं, जिनके प्रारंभ होने से मक्के की खपत में वृद्धि होगी और किसानों को अच्छे दाम मिलने की संभावना है।


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