कालानमक धान एक विशेष प्रकार का सुगंधित चावल है जो मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर जिले में उगाया जाता है। यह धान अपनी विशिष्ट सुगंध, स्वाद और पौष्टिकता के लिए प्रसिद्ध है। इसे सिद्धार्थनगर का "एक जिला एक उत्पाद" (ओडीओपी) घोषित किया गया है, जिससे इसकी लोकप्रियता और मांग में तेजी से वृद्धि हुई है।
1. सुगंध और स्वाद: कालानमक धान का चावल अपनी अद्वितीय सुगंध और स्वाद के लिए जाना जाता है। पकने पर इसकी महक दूर-दूर तक फैलती है और इसका स्वाद बेहद स्वादिष्ट होता है। 2. पौष्टिकता: इस धान में प्रोटीन, विटामिन और खनिज तत्वों की मात्रा अधिक होती है, जो इसे पोषण की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण बनाती है। 3. जीआई टैग: कालानमक धान को जीआई (जियोग्राफिकल इंडिकेशन) टैग प्राप्त है, जो इसके विशिष्ट क्षेत्र और गुणों की पहचान को दर्शाता है। यह टैग इस धान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने में मदद करता है।
कालानमक धान की खेती का इतिहास प्राचीन है और यह बुद्ध काल से जुड़ा हुआ माना जाता है। इसके उत्पादन की विधि और इसके गुणों के कारण इसे विशेष महत्व प्राप्त हुआ है। सिद्धार्थनगर और इसके आसपास के क्षेत्रों में इसे प्रमुखता से उगाया जाता है।
1. खेती का क्षेत्र:कालानमक धान मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर, गोरखपुर, बस्ती, कुशीनगर और आसपास के जिलों में उगाया जाता है। इसके अलावा, अब यह अन्य राज्यों जैसे छत्तीसगढ़, बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र, उत्तराखंड और हरियाणा में भी उगाया जा रहा है। 2. वृद्धि और रकबा:पिछले कुछ वर्षों में कालानमक धान की खेती के क्षेत्र में तेजी से वृद्धि हुई है। 2016 में इसका रकबा केवल 2200 हेक्टेयर था, जो 2022 में बढ़कर 70 हजार हेक्टेयर हो गया और 2024 में यह एक लाख हेक्टेयर से अधिक होने की उम्मीद है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयासों से कालानमक धान को बढ़ावा मिला है। सिद्धार्थनगर में कॉमन फैसिलिटी सेंटर (सीएफसी) का लोकार्पण किया गया, जिसमें कालानमक के ग्रेडिंग, पैकिंग और अन्य सुविधाएं उपलब्ध हैं। इसके अलावा, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसकी पहचान बनाने के लिए विभिन्न प्रयास किए जा रहे हैं।
कालानमक धान पर कई शोध प्रोजेक्ट चल रहे हैं। उत्तर प्रदेश और बिहार के किसानों के बीच काम करने वाली संस्था सस्टेनेबल ह्यूमन डेवलेपमेंट और इंटरनेशनल राइस रिसर्च इंस्टीट्यूट ने कालानमक की 15 प्रजातियों को डिमांस्ट्रेशन के लिए उपलब्ध कराया है। एनबीआरआई भी कालानमक पर एक शोध प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है।
कालानमक धान अपनी विशिष्ट सुगंध, स्वाद और पौष्टिकता के कारण तेजी से लोकप्रिय हो रहा है। सरकारी प्रयासों और शोध के माध्यम से इसे और भी अधिक पहचान दिलाने की कोशिश की जा रही है। भविष्य में इसके उत्पादन और मांग में और भी वृद्धि होने की संभावना है।
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