समाचार

होम समाचार


2 January 2025
project management tool


कुल्थी दाल एक सूखा प्रतिरोधी और बहुउपयोगी फसल है, जिसे दक्षिण भारत में प्रमुखता से उगाया जाता है। यह फसल न केवल मानव उपभोग के लिए उपयोगी है, बल्कि मवेशियों के चारे, हरी खाद, और रसम बनाने के लिए भी इस्तेमाल की जाती है। कुल्थी को कम पानी और संसाधनों में उगाया जा सकता है, जिससे यह किसानों के लिए लाभदायक विकल्प बनती है।


कुल्थी की खेती के मुख्य क्षेत्र

कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, ओडिशा, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, बिहार, झारखंड, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, और पश्चिम बंगाल के पहाड़ी क्षेत्रों में इसकी प्रमुखता से खेती की जाती है।


बीज उपचार

  • बीजों को कार्बेन्डाजिम (2 ग्राम/किग्रा) या ट्राइकोडर्मा विरिडी (4 ग्राम/किग्रा) से उपचारित करें।
  • उपचार के बाद राइजोबियम और पीएसबी कल्चर (5-7 ग्राम/किग्रा) से बीजों का टीकाकरण करें।


उर्वरक प्रबंधन

20 किग्रा नाइट्रोजन और 30 किग्रा P₂O₅ प्रति हेक्टेयर बुवाई के समय डालें।


जल प्रबंधन

  • फूल आने और फली बनने से पहले सिंचाई करें।
  • खरपतवार और कीट प्रबंधन


खरपतवार प्रबंधन

  • शुरुआती निराई-गुड़ाई और पेंडीमेथालिन (0.75-1 किग्रा/हेक्टेयर) का प्री-इमरजेंस उपयोग करें।
  • बुवाई के 20-25 दिन बाद हाथ से निराई करें।


कीट प्रबंधन

  • एफिड्स और जैसिड्स:ऑक्सीडेमेटोन मिथाइल या डायमेथोएट का छिड़काव करें।
  • फली छेदक: एनपीवी या क्विनोल्फोस का उपयोग करें।
  • पीला मोज़ेक:प्रतिरोधी किस्में उगाएं और संक्रमित पौधों को नष्ट करें।


कटाई और थ्रेसिंग

साफ बीजों को 3-4 दिन धूप में सुखाकर 9-10% नमी पर भंडारित करें।


भंडारण

  • मानसून से पहले और बाद में एएलपी गोलियों का धूम्रण करें।
  • नीम पाउडर, राख, या चूने जैसी सामग्री मिलाकर भंडारण करें।


उपज

उन्नत तकनीकों के माध्यम से 6-10 क्विंटल/हेक्टेयर तक पैदावार ली जा सकती है।


उच्च उत्पादन के लिए सुझाव

  • तीन साल में एक बार गहरी जुताई करें।
  • बीजोपचार और उर्वरक का उपयोग मृदा परीक्षण के आधार पर करें।
  • खरपतवार नियंत्रण और पौध संरक्षण समय पर करें।


अधिक जानकारी के लिए मेरा फार्महाउस ऍप से जुड़े।