गन्ना किसानों के सामने अक्सर बकाया भुगतान की समस्या होती है, जिसे हल करने के लिए इंटरक्रॉपिंग तकनीक का इस्तेमाल फायदेमंद हो सकता है। इस तकनीक से गन्ने की फसल के साथ अन्य फसलें उगाकर अतिरिक्त आय प्राप्त की जा सकती है। विशेष रूप से सब्जियों की खेती से कम समय में अधिक मुनाफा कमाया जा सकता है।
इंटरक्रॉपिंग तकनीक में एक ही खेत में दो या दो से अधिक फसलें एक साथ उगाई जाती हैं। यह फसलें अलग-अलग कतारों में लगाई जाती हैं और इसे सहयोगी फसलें कहा जाता है। इस तकनीक से मिट्टी के पोषक तत्वों का बेहतर उपयोग होता है, कीट नियंत्रण में मदद मिलती है, और मिट्टी की उपजाऊ क्षमता बनी रहती है।
भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान के अनुसार, शरदकालीन गन्ने के साथ सर्दियों की सब्जियों की खेती करके किसान प्रति एकड़ 50,000 से 1 लाख रुपये तक अतिरिक्त कमा सकते हैं। इसके लिए सही विधि और किस्मों का चयन करना जरूरी है।
गन्ने की कतारों में 90 सेंटीमीटर की दूरी रखकर बीच की खाली जगह में सब्जियां उगाई जा सकती हैं। किसान आलू, प्याज, लहसुन, फूलगोभी, और पत्तागोभी जैसी फसलें उगाकर प्रति एकड़ 50,000 से 1 लाख रुपये तक कमा सकते हैं।
आलू की इंटरक्रॉपिंग से प्रति एकड़ 100 क्विंटल आलू की पैदावार हो सकती है, जबकि प्याज की खेती से प्रति एकड़ 80 से 100 क्विंटल तक प्याज का उत्पादन मिल सकता है। इससे किसान गन्ने के साथ-साथ इन फसलों से भी अतिरिक्त लाभ उठा सकते हैं।
गन्ने के साथ फूलगोभी, पत्तागोभी, और राजमा की खेती भी की जा सकती है। फूलगोभी और पत्तागोभी से प्रति एकड़ 100 से 110 क्विंटल तक पैदावार हो सकती है, जबकि राजमा से 80 से 100 क्विंटल तक उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है।
गन्ने की बुवाई के लिए नाली विधि और गड्ढा विधि अधिक प्रभावी मानी जाती हैं। इसके अलावा, नई पौध रोपण विधि, जिसमें गन्ने की नर्सरी तैयार कर पौधों की खेत में रोपाई की जाती है, इंटरक्रॉपिंग के लिए विशेष रूप से उपयोगी है। इंटरक्रॉपिंग तकनीक से किसान अपनी आय में वृद्धि कर सकते हैं और गन्ने की खेती के साथ अतिरिक्त फसलों से मुनाफा कमा सकते हैं।
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