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10 December 2024
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गेहूं भारत में बोई जाने वाली प्रमुख फसल है, जिसमें प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट की भरपूर मात्रा पाई जाती है। हालांकि, कुछ खतरनाक रोग गेहूं की फसल के उत्पादन को प्रभावित करते हैं। आइए जानते हैं गेहूं की फसल में लगने वाले प्रमुख रोगों के लक्षण और उनका प्रबंधन।


भूरा रतुआ रोग


लक्षण:

यह रोग गेहूं के निचले पत्तियों पर दिखता है, जो नारंगी और भूरे रंग के होते हैं। यह पत्तियों के ऊपर और नीचे दोनों सतहों पर दिखाई देता है। समय के साथ, रोग का प्रभाव बढ़ता जाता है।


प्रबंधन:

  • एक ही किस्म को बड़े क्षेत्र में न उगाएं।
  • प्रोपिकोनाजोल 25 ई.सी. (टिल्ट) या टेबुकोनाजोल 25 ई.सी. का 0.1% घोल बनाकर छिड़काव करें।
  • 10-15 दिन के अंतराल में पुनः छिड़काव करें।


काला रतुआ रोग


लक्षण:

यह रोग गेहूं के तनों पर भूरे रंग के धब्बों के रूप में होता है। इससे तने कमजोर हो जाते हैं, और संक्रमण के बढ़ने से गेहूं के दाने छोटे और झिल्लीदार हो जाते हैं, जिससे पैदावार में कमी आती है।


प्रबंधन:

  • अधिक क्षेत्र में एक ही किस्म न लगाएं।
  • प्रोपिकोनाजोल 25 ई.सी. (टिल्ट) या टेबुकोनाजोल 25 ई.सी. का 0.1% घोल बनाकर छिड़काव करें।
  • रोग के फैलाव को रोकने के लिए 10-15 दिन बाद दूसरा छिड़काव करें।


दीमक (Termites)


लक्षण:

दीमक छोटे पंखहीन और सफेद/पीले रंग के होते हैं, जो पौधों की जड़ों और बीजों को खाकर नुकसान पहुंचाते हैं। प्रभावित पौधे कुतरे हुए दिखाई देते हैं।


प्रबंधन:

  • खेत में गोबर डालें और फसल के अवशेष नष्ट करें।
  • नीम की खेड़ी डालें और सिंचाई के दौरान क्लोरपाइरीफास 20% ईसी का उपयोग करें।


माहू (Aphids)


लक्षण:

माहू छोटे चूसने वाले कीट होते हैं जो पत्तियों और बालियों से रस चूसते हैं और मधुश्राव करते हैं, जिससे काले कवक का प्रकोप हो सकता है।


प्रबंधन:

  • खेत में गहरी जुताई करवाएं।
  • गंध पास (फेरोमेन ट्रैप) का उपयोग करें।
  • कीटों की संख्या बढ़ने पर क्यूनालफास 25% ई.सी. का 400ml प्रति हेक्टेयर छिड़काव करें।


इन रोगों का सही समय पर पहचान और प्रबंधन करके गेहूं की फसल को सुरक्षित रखा जा सकता है और पैदावार में वृद्धि हो सकती है।


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