गेहूं भारत में बोई जाने वाली प्रमुख फसल है, जिसमें प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट की भरपूर मात्रा पाई जाती है। हालांकि, कुछ खतरनाक रोग गेहूं की फसल के उत्पादन को प्रभावित करते हैं। आइए जानते हैं गेहूं की फसल में लगने वाले प्रमुख रोगों के लक्षण और उनका प्रबंधन।
यह रोग गेहूं के निचले पत्तियों पर दिखता है, जो नारंगी और भूरे रंग के होते हैं। यह पत्तियों के ऊपर और नीचे दोनों सतहों पर दिखाई देता है। समय के साथ, रोग का प्रभाव बढ़ता जाता है।
यह रोग गेहूं के तनों पर भूरे रंग के धब्बों के रूप में होता है। इससे तने कमजोर हो जाते हैं, और संक्रमण के बढ़ने से गेहूं के दाने छोटे और झिल्लीदार हो जाते हैं, जिससे पैदावार में कमी आती है।
दीमक छोटे पंखहीन और सफेद/पीले रंग के होते हैं, जो पौधों की जड़ों और बीजों को खाकर नुकसान पहुंचाते हैं। प्रभावित पौधे कुतरे हुए दिखाई देते हैं।
माहू छोटे चूसने वाले कीट होते हैं जो पत्तियों और बालियों से रस चूसते हैं और मधुश्राव करते हैं, जिससे काले कवक का प्रकोप हो सकता है।
इन रोगों का सही समय पर पहचान और प्रबंधन करके गेहूं की फसल को सुरक्षित रखा जा सकता है और पैदावार में वृद्धि हो सकती है।
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