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17 May 2024
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पूसा बासमती 1847:

  • यह किस्म धान की लोकप्रिय 1509 किस्म को सुधारकर बनाई गई है।
  • इसमें बैक्टीरियल ब्लाइट और ब्लास्ट रोग से लड़ने के लिए जीन शामिल किए गए हैं।
  • यह जल्दी पकने वाली और अर्धबौनी किस्म है, जो 125 दिन में तैयार हो जाती है।
  • औसत उपज क्षमता 22 से 23 क्विंटल प्रति एकड़ है।


पूसा बासमती 1885:

  • यह पूसा बासमती 1121 किस्म का सुधारित रूप है।
  • इसमें भी बैक्टीरियल ब्लाइट और ब्लास्ट रोग से लड़ने की क्षमता है।
  • 135 दिन में पककर तैयार हो जाती है।
  • औसत उपज क्षमता 18.72 क्विंटल प्रति एकड़ है।


पूसा बासमती 1886:

  • यह पूसा बासमती 6 का सुधारित रूप है।
  • यह किस्म भी बैक्टीरियल ब्लाइट और ब्लास्ट रोग के प्रति प्रतिरोधी है।
  • 145 दिन में पककर तैयार हो जाती है।
  • औसत उपज क्षमता 18 क्विंटल प्रति एकड़ है।


किसान इन किस्मों के बीज बासमती निर्यात विकास फाउंडेशन (BEDF) मेरठ और IARI दिल्ली के बीज केंद्र से प्राप्त कर सकते हैं। अब तक बीज अधिनियम, 1966 के अधीन बासमती धान की 45 किस्में अधिसूचित की जा चुकी हैं, जिनमें प्रमुख किस्में शामिल हैं: बासमती 217, पंजाब बासमती 1, बासमती 386, हरियाणा बासमती 1, टाइप 3, पंत बासमती 1, पूसा बासमती 1, पूसा बासमती 1121, पूसा बासमती 1509, और पूसा बासमती 6।


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भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान पूसा, दिल्ली (IARI) ने धान की खेती करने वाले किसानों के लिए बासमती धान की तीन नई रोगप्रतिरोधक किस्में विकसित की हैं: पूसा बासमती 1847, पूसा बासमती 1885 और पूसा बासमती 1886। ये किस्में जीवाणु झुलसा रोग और ब्लास्ट रोग के प्रतिरोधी हैं, जिससे किसानों को बेहतर पैदावार और अधिक कमाई हो सकेगी।