
गन्ना बुवाई की तैयारी: बसंत ऋतु में गन्ने की बुवाई के लिए भूमि तैयार करें और आवश्यकतानुसार सिंचाई करें। चना फसल की देखभाल: यदि 50% या अधिक फली बन चुकी है, तो दूसरी सिंचाई करें। फली बोरर की रोकथाम के लिए क्लोरएंट्रनिलिप्रोल 18.5 SC (3.0 ml/लीटर पानी), फ्लुबेंडियामाइड 20 WG (5g/लीटर पानी) या इंडोक्साकार्ब 14.5 SC का छिड़काव करें।
सरसों की फसल की देखभाल: 70-75 दिन की अवस्था में सरसों की फसल को सिंचाई करें। पाउडरी मिल्ड्यू (चूर्ण फफूंदी) नियंत्रण के लिए 20 KG सल्फर पाउडर या कराथेन 30 LC (डिनोकैप) 750ml प्रति हेक्टेयर छिड़कें। आम की फसल: सिंचाई बंद करें और मीलीबग नियंत्रण के लिए तनों पर ग्रीस स्ट्रिप्स लगाएं तथा मिट्टी में फॉलिडाल @ 250 ग्राम/पौधा का उपयोग करें। बेर की फसल: बेहतर फल विकास के लिए नाइट्रोजन उर्वरक का टॉप ड्रेसिंग करें।
गेहूं फसल में सिंचाई:
गेहूं में दीमक नियंत्रण: 20 किलोग्राम रेत और क्लोरोपाइरीफॉस 20 ईसी (2.0 लीटर/एकड़) का मिश्रण शाम के समय खेत में डालें। आम की फसल सुरक्षा: पाउडरी मिल्ड्यू रोग से बचाव के लिए हेक्साकोनाजोल 5% ईसी (1 मि.ली./लीटर पानी) का छिड़काव करें। परागण के लिए मधुमक्खी पालन:मधुमक्खी पालन को बढ़ावा दें, क्योंकि ये फूलों और बागवानी फसलों में परागण के लिए महत्वपूर्ण हैं।
चना फसल में सावधानी: फूलने की अवस्था में किसी भी प्रकार के छिड़काव से बचें।
कीट नियंत्रण:
गेहूं में दीमक नियंत्रण:क्लोरोपाइरीफॉस 20 ईसी (3.5 लीटर/हेक्टेयर) को सिंचाई जल में मिलाकर उपयोग करें।
नर्सरी तैयार करें और बीजों को कार्बेन्डाजिम से उपचारित करें।
इन उपायों को अपनाकर किसान अपनी फसलों की बेहतर देखभाल कर सकते हैं और उत्पादन में वृद्धि कर सकते हैं। अधिक जानकारी के लिए मेरा फार्महाउस ऍप से जुड़े।