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7 January 2025
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चालू सीजन में भारत के उत्तर और मध्य भागों में 88.50 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सरसों की खेती हो रही है। राजस्थान, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, पंजाब, बिहार और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में यह मुख्य फसल है।

माहू कीट, जो हरे, काले और पीले रंग का होता है, दिसंबर के अंत से मार्च तक फसलों पर हमला करता है। यह सरसों की पत्तियों, फूलों और फलियों का रस चूसकर पौधों को कमजोर और सूखा बना देता है।


माहू कीट के अनुकूल वातावरण

बदलते मौसम जैसे कुहासा, हल्की बारिश और नमी वाले हालात माहू कीट के प्रजनन के लिए अनुकूल होते हैं। कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, यह कीट विशेष रूप से कोमल फूलों और फलियों को नुकसान पहुंचाता है।


स्टिकी ट्रैप: बिना रसायन के समाधान

स्टिकी ट्रैप का उपयोग माहू कीट के नियंत्रण के लिए प्रभावी और पर्यावरण-अनुकूल उपाय है। यह एक पीली चिपचिपी शीट होती है, जो माहू कीट को आकर्षित कर उन्हें फसल से दूर रखती है।


स्टिकी ट्रैप का उपयोग कैसे करें?

  • स्थान और ऊंचाई: ट्रैप को फसल से 1-2 फीट ऊंचाई पर लगाएं।
  • संख्या: प्रति एकड़ 10-15 स्टिकी ट्रैप लगाएं।
  • स्थान का चयन: अधिक कीट वाले स्थानों पर ट्रैप लगाएं।
  • समय पर बदलाव: हर 20-25 दिन में ट्रैप बदलें।
  • सावधानियां: ट्रैप को छूने से पहले हाथ साफ रखें ताकि उसकी प्रभावशीलता बनी रहे।


माहू कीट नियंत्रण के अन्य उपाय

  • प्रभावित पौधों को हटाना: माहू से प्रभावित पौधों को तुरंत तोड़कर नष्ट करें।
  • नीम का तेल: 2% नीम के तेल का स्प्रे माहू कीट को नियंत्रित करने में सहायक है।
  • दवा का छिड़काव: मेटासिस्टाक्स या अन्य उपयुक्त कीटनाशकों का समय पर उपयोग करें।
  • नमी पर नियंत्रण: कोहरे और अधिक नमी के समय सतर्क रहें।


सारांश और सलाह

कृषि विशेषज्ञ डॉ. आर. पी. सिंह के अनुसार, किसान स्टिकी ट्रैप जैसी सरल तकनीकों और समय-समय पर फसल की निगरानी से माहू कीट का प्रभावी नियंत्रण कर सकते हैं। इससे रसायनों का उपयोग कम होगा, फसल की गुणवत्ता बनी रहेगी, और उपज में वृद्धि के साथ आर्थिक लाभ भी प्राप्त होगा।


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