समाचार

होम समाचार


3 July 2024
project management tool

धान भारत की एक महत्वपूर्ण फसल है जो लगभग एक-चौथाई कृषि योग्य क्षेत्र में उगाई जाती है और भारत की लगभग आधी आबादी इसे मुख्य भोजन के रूप में उपयोग करती है। पिछले 45 वर्षों के दौरान, पंजाब ने धान उत्पादन में बहुत प्रगति हासिल की है। नई तकनीक और उच्च उपज वाले बीजों के उपयोग के कारण, पंजाब में धान का उत्पादन सबसे अधिक है।


सीआर धान 807 की उत्पत्ति

सीआर धान 807 धान की किस्म को आईसीएआर-राष्ट्रीय धान अनुसंधान संस्थान की इकाई केंद्रीय बारानी उच्चभूमि धान अनुसंधान स्टेशन, हजारीबाग, झारखंड द्वारा विकसित किया गया है।


सीआर धान 807 की विशेषताएँ

  • खेती के क्षेत्र: इसे झारखंड, बिहार और पश्चिम बंगाल के सिंचित क्षेत्रों में लगाया जाता है।
  • मौसम: इसे खरीफ और रबी दोनों मौसमों में और अधिक और कम उर्वरता वाली जमीन में भी खेती के लिए उपयुक्त पाया गया है।
  • पौधा संरचना: यह किस्म अर्ध-बौनी है और इसका पौधा सीधा बढ़ता है, जो अधिक बारिश या तूफान में नहीं गिरता।
  • उपज: इसकी बाली की लंबाई 23.2 सेमी तक होती है और इसमें बहुत अच्छी अनाज गुणवत्ता विशेषताएं हैं।
  • अनाज की विशेषताएँ: इसमें लंबे पतले दाने, भूसी नहीं निकालना, कम जिलेटिनाइजेशन तापमान और मध्यम एमाइलोज सामग्री होती है।


रोग प्रतिरोधी क्षमता

यह ब्लास्ट, ब्राउन स्पॉट और शीथ रॉट जैसी प्रमुख बीमारियों के लिए मध्यम प्रतिरोधी है। इसमें ब्राउन प्लांट एफिड, लीफ रोलर और स्टेम बोरर के लिए भी मध्यम सहनशीलता है।


उर्वरक उपयोग दक्षता

सीआर धान 807 में अच्छी उर्वरक उपयोग दक्षता है और इसने 5.35 टन/हेक्टेयर की उच्च औसत उपज दी है। इस किस्म ने वर्षा आधारित परीक्षणों में मध्यम सूखे की स्थिति में अच्छा प्रदर्शन किया है और सिंचित परिस्थितियों में भी इसे कम सिंचाई की आवश्यकता होती है।


अन्य महत्वपूर्ण विशेषताएँ

  • शाकनाशी सहनशीलता: यह किस्म सीधे बीज बोने के लिए उपयुक्त एक शाकनाशी और सूखा सहनशील धान की किस्म है।
  • गैर-जीएमओ: यह किस्म भारत में जारी की गई पहली गैर-जीएमओ शाकनाशी सहनशील गैर-बासमती चावल की किस्म है।
  • पर्यावरण प्रभाव: यह किस्म धान की खेती की लागत और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को काफी हद तक कम करती है।
  • जलवायु अनुकूलन: यह किस्म वर्षा आधारित प्रारंभिक सीधी बीज बोने की स्थितियों के लिए उपयुक्त है और सूखा सहनशील जलवायु लचीला किस्म है।
  • फसल अवधि: फसल 110-115 दिनों में पक जाती है और इसकी औसत उपज स्तर सामान्य वर्षा में 4.2 टन/हेक्टेयर और सूखे की स्थिति में 2.8 टन/हेक्टेयर है।


अधिसूचना: यह किस्म ओडिशा, झारखंड, छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और गुजरात के लिए अधिसूचित है। अधिक जानकारी के लिए मेरा फार्महाउस ऍप से जुड़े रहे।