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12 December 2024
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  • भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर (BARC) ने परमाणु विकिरण तकनीक से 8 नई फसल किस्में विकसित की हैं, जो गेहूं, धान और तिलहन से संबंधित हैं।
  • इन किस्मों का उद्देश्य अधिक उपज, रोग प्रतिरोधक क्षमता और जलवायु परिवर्तन के प्रति अनुकूलता है।
  • BARC की इस पहल में राज्य कृषि विश्वविद्यालयों का भी सहयोग रहा है।
  • नई किस्मों का विकास परमाणु विकिरण-आधारित म्यूटेशन ब्रीडिंग तकनीक से किया गया है।


गेहूं की नई किस्में:

Triticum aestivum Wheat-153 (TAW-153):
  • राजस्थान की जलवायु के लिए उपयुक्त।
  • उच्च तापमान में भी बेहतर उपज देती है।
  • ब्लास्ट और पाउडरी मिल्ड्यू जैसी फंगल बीमारियों के प्रति प्रतिरोधी।


Raj Vijay Wheat-155 (RW-155):

  • मध्य प्रदेश के लिए विकसित।
  • आयरन और जिंक की उच्च मात्रा।
  • बेहतर आटे की गुणवत्ता और फंगल रोगों के प्रति प्रतिरोधक क्षमता।


धान की नई किस्में:

बौना लुचाई (Bauna Luchai):
  • जल्दी पकने वाली और गिरने से बचने वाली किस्म।
  • पारंपरिक लुचाई किस्म से 40% अधिक उपज।


संजीवनी (Sanjeevani):

  • 350 से अधिक फाइटोकेमिकल्स से भरपूर।
  • स्वास्थ्यवर्धक चावल की बढ़ती मांग को पूरा करती है।
  • IGKV रायपुर के सहयोग से विकसित।


ट्रॉम्बे कोंकण खारा (Trombay Konkan Khara):

  • महाराष्ट्र के खारे तटीय इलाकों के लिए उपयुक्त।
  • कठोर जलवायु में बेहतर परिणाम देती है।


तिलहन फसलों की नई किस्में:

Trombay Mustard-2 (TM-2):
  • राजस्थान के लिए उपयुक्त।
  • 14% अधिक उपज और फंगल रोगों के प्रति प्रतिरोधक।


Trombay Latur-10 (TL-10):

  • महाराष्ट्र के किसानों के लिए विकसित।
  • तिल की इस किस्म से 20% अधिक उपज मिल सकती है।


Chhattisgarh Trombay Groundnut (CGTG):

  • छत्तीसगढ़ के लिए उपयुक्त।
  • वर्षा और गर्मी में भी बेहतर परिणाम।
  • इसमें 49% तक तेल की उच्च सामग्री होती है।
  • BARC द्वारा विकसित ये किस्में न केवल फसल की पैदावार बढ़ाने में मदद करेंगी, बल्कि किसानों की आय भी बढ़ाएंगी।
  • ये किस्में अलग-अलग जलवायु परिस्थितियों में उपजाई जा सकेंगी और स्वास्थ्यवर्धक उत्पाद प्रदान करेंगी।


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